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|रचनाकार= अमजद हैदराबादी
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नालए-जाने-ख़स्ता-जाँ<ref>निर्बल शरीरवाले दिल की आहें</ref>, अर्शेबरींपै<ref>ईश्वर के समीप तक</ref> जाये क्यों?
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