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बस एक निशान छूट रहा था / अरुण कमल
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07:17, 5 नवम्बर 2009
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बस इसलिए कि तुम्हारे देश में हूँ
और तुम मुझे दो मुट्ठी अन्न देते हो
मैंने कुछ भी तो नहीं किया
बस एक निशान छूट रहा था जो लगा दिया।
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