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कौन पढ़ेगा ? / नरेन्द्र मोहन
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रचनाकार
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नरेन्द्र मोहन
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रंगों की बुनावट में चमक है
अब भी
चमक में छिपा है कोई संदेश
कल का
कल के लिए
गिरती दीवारों पर अंकित है
एक अबूझ लिपि
कौन पढ़ेगा
ढहती इमारत की भाषा ?
</poem>
अनिल जनविजय
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