भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
''[ये अशआर मुम्बई के फ़सादा के ज़माने में लिखे गये]''
सुना है बन्दोबस्त अब सब ब-अन्दाज़े-दिगर होंगे
जो ये ताबीर होगी हिन्द के देरीना<ref>पुराने</ref> ख़्वाबों की
तो फिर हिन्दोस्ताँ होगा न इसके दीदःवर होंगे
{{KKMeaning}}
</poem>