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राज निराज / अली सरदार जाफ़री

73 bytes added, 05:09, 6 नवम्बर 2009
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|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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<poem>
 
'''राज निराज'''
''[ये अशआर मुम्बई के फ़सादा के ज़माने में लिखे गये]''
 
सुना है बन्दोबस्त अब सब ब-अन्दाज़े-दिगर होंगे
जो ये ताबीर होगी हिन्द के देरीना<ref>पुराने</ref> ख़्वाबों की
तो फिर हिन्दोस्ताँ होगा न इसके दीदःवर होंगे
 
 
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</poem>
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