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|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मनखान ने 'तापती' से कहा---
हे सूर्यपुत्री! तुम्हारी साड़ी अगले माह सही
इस महीने हंसा के जूते ले देते हैं