भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मनखान ने 'तापती' से कहा---
हे सूर्यपुत्री! तुम्हारी साड़ी अगले माह सही
इस महीने हंसा के जूते ले देते हैं
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits