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03:26, 7 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=बशीर बद्र
|संग्रह=आस / बशीर बद्र
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<poem>
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा, तो कोई दूसरा हो जाएगा
मैं ख़ुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तो
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा
सब उसी के हैं हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आसमाँ
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा
(१९८८)
</poem>