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जंगल बोला / अवतार एनगिल

85 bytes added, 06:26, 7 नवम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा / अवतार एनगिल; तीन डग कविता / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मैंने जंगल से कहा__
मेरी बगिया से बाहर लगा जंगला
तुम्हारी लक्ष्मण रेखा है
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