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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल; तीन डग कविता /अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>अबके कैसी बरखा आई
कि छत पर बरसता लम्बा सावन
अपना सारा वेग