गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
वक़्ते-रुख़सत कहीं तारे कहीं जुगनू आए / बशीर बद्र
1 byte added
,
05:38, 8 नवम्बर 2009
तीर खाया हुआ जैसे कोई आहू आए
उसकी बातें कि
गुलोलाला
गुलो-लाला
पे शबनम बरसे
सबको अपनाने का उस शोख़ को जादू आए
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits