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|रचनाकार=अश्वघोष
|संग्रह=जेबों में डर / अश्वघोष
}}[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
बदली नहीं है अब तक तकदीर रोशनी की।
बन-बन के रह गई है तस्वीर रोशनी की।