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बच्चे एक दिन / अशोक वाजपेयी

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|रचनाकार=अशोक वाजपेयी
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बच्चे
 
अंतरिक्ष में
 
एक दिन निकलेंगे
 
अपनी धुन में,
 
और बीनकर ले आयेंगे
 
अधखाये फलों और
 
रकम-रकम के पत्थरों की तरह
 
कुछ तारों को ।
 
 
आकाश को पुरानी चांदनी की तरह
 
अपने कंधों पर ढोकर
 
अपने खेल के लिए
 
उठा ले आयेंगे बच्चे
 
एक दिन ।
 
 
बच्चे एक दिन यमलोक पर धावा बोलेंगे
 
और छुड़ा ले आयेंगे
 
सब पुरखों को
 
वापस पृथ्वी पर,
 
और फिर आँखें फाड़े
 
विस्मय से सुनते रहेंगे
 
एक अनन्त कहानी
 
सदियों तक ।
 
 
बच्चे एक दिन......
 
(रचनाकालः1986)
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