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[[Category:ग़ज़ल]]
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जब तेरा हुक्म मिला, तर्क मुहब्बत कर दी,
दिल मगर उस पे वो धडका, कि क़यामत कर दी|
जब तेरा हुक्म मिलातुझसे किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता, तर्क मुहब्बत कर दी,<br>दिल मगर उस पे वो धडका, कि क़यामत लफ़्ज़ सूझा तो मआनी ने बग़ावत कर दी|<br><br>
तुझसे किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करतातो समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले,<br>लफ़्ज़ सूझा तूने जाकर तो मआनी ने बग़ावत जुदाई मेरी कि़स्मत कर दी|<br><br>
मैं तो समझा था कि लौट आते हैं जाने वालेमुझको दुश्मन के वादों पे भी प्यार आता है,<br>तूने जाकर तो जुदाई तेरी उल्फ़त ने मुहब्बत मेरी कि़स्मत आदत कर दी|<br><br>
मुझको दुश्मन के वादों पे भी प्यार आता है,<br>तेरी उल्फ़त ने मुहब्बत मेरी आदत कर दी|<br><br> पूछ बैठा हूँ, मैं तुझसे तेरे कूचे का पता,<br>तेरी हालत ने कैसी तेरी सूरत कर दी|<br><br/poem>
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