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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>रेत से बुत न बना मेरे अच्छे फ़नकार<BR>एक लम्हे को ठहर मैं तुझे पत्थर ला दूँ<BR>मैं तेरे सामने अम्बार लगा दूँ लेकिन<BR>कौन से रंग का पत्थर तेरे काम आएगा<BR>सुर्ख़ पत्थर जिसे दिल कहती है बेदिल दुनिया<BR>या वो पत्थराई हुई आँख का नीला पत्थर<BR>जिस में सदियों के तहय्युर के पड़े हों डोरे<BR>क्या तुझे रूह के पत्थर की जरूरत होगी<BR>जिस पे हक़ बात भी पत्थर की तरह गिरती है<BR>इक वो पत्थर है जिसे कहते हैं तहज़ीब-ए-सफ़ेद<BR>उस के मर-मर में सियाह ख़ून झलक जाता है<BR>इक इन्साफ़ का पत्थर भी होता है मगर<BR>हाथ में तेशा-ए-ज़र हो, तो वो हाथ आता है<BR>जितने मयार हैं इस दौर के सब पत्थर हैं<BR>शेर भी रक्स भी तस्वीर-ओ-गिना भी पत्थर<BR>मेरे इलहाम तेरा ज़हन-ए-रसा भी पत्थर<BR>इस ज़माने में हर फ़न का निशां पत्थर है<BR>हाथ पत्थर हैं तेरे मेरी ज़ुबां पत्थर है<BR>रेत से बुत न बना ऐ मेरे अच्छे फ़नकार<BR/poem>
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