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[[Category:गज़ल]]
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तेरी बातें ही सुनाने आये
दोस्त भी दिल ही दुखाने आये
तेरी बातें ही सुनाने आये<br>फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैंदोस्त भी दिल ही दुखाने तेरे आने के ज़माने आये<br><br>
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं<br>ऐसी कुछ चुप सी लगी है जैसेतेरे आने के ज़माने हम तुझे हाल सुनाने आये<br><br>
ऐसी कुछ चुप सी लगी इश्क़ तन्हा है जैसे<br>सर-ए-मंज़िल-ए-ग़महम तुझे हाल सुनाने कौन ये बोझ उठाने आये<br><br>
इश्क़ तन्हा है सर-ए-मंज़िल-ए-ग़म<br>अजनबी दोस्त हमें देख के हमकौन ये बोझ उठाने कुछ तुझे याद दिलाने आये<br><br>
अजनबी दोस्त हमें देख दिल धड़कता है सफ़र के हम<br>हंगामकुछ तुझे याद दिलाने काश फिर कोई बुलाने आये<br><br>
अब तो रोने से भी दिल धड़कता दुखता है सफ़र के हंगाम<br>काश फिर कोई बुलाने शायद अब होश ठिकाने आये<br><br>
अब तो रोने से भी दिल दुखता है<br>क्या कहीं फिर कोई बस्ती उजड़ीशायद अब होश ठिकाने लोग क्यूँ जश्न मनाने आये<br><br>
क्या कहीं फिर कोई बस्ती उजड़ी<br>लोग क्यूँ जश्न मनाने आये<br><br> सो रहो मौत के पहलू में "फ़राज़"<br>नींद किस वक़्त न जाने आये<br><br/poem>
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