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नव रसमय मूरति सदा / आलम

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|रचनाकार=आलम
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[[Category:पद ]]
<poeM>नव रसमय मूरति सदा, जिन बरने नंदलाल।
'आलम आलम बस कियो, दै निज कविता जाल॥
'आलम जौन से कुंजन में करी केलि, तहाँ अब सीस धुन्यो करैं।
नैंनन में जो सदा रहते, तिनकी अब कान कहानी सुन्यो करैं॥
 
</poeM>
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