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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>सेमल अपने लाल लाल फूलों से
भूमि और आकाश का
अभिनंदन करता है।
उस का हुलास वातावरण को
अहोरात्र दीप्ति देता है
वह सूर्य चंद्र और तारों का
साथी है, सहचर है
निंदक भी उसके पास आते हैं
निंदा कर जाते हैं।
सेमल नें मुझ से कहा--
मुझे मिला है जो कुछ
उसी से मैं पास आने वालों का
सत्कार करता हूँ
अपने लिये उन से
कोई आशा नहीं करता।
6.11.2002 </poem>
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|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>सेमल अपने लाल लाल फूलों से
भूमि और आकाश का
अभिनंदन करता है।
उस का हुलास वातावरण को
अहोरात्र दीप्ति देता है
वह सूर्य चंद्र और तारों का
साथी है, सहचर है
निंदक भी उसके पास आते हैं
निंदा कर जाते हैं।
सेमल नें मुझ से कहा--
मुझे मिला है जो कुछ
उसी से मैं पास आने वालों का
सत्कार करता हूँ
अपने लिये उन से
कोई आशा नहीं करता।
6.11.2002 </poem>