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कोई भी नाम दो / त्रिलोचन

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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>शरीफे की सुगंध के ड़ोरे
लोगों की साँस पकड़ लेते हैं
और उन्हे अपने पास, बिलकुल पास,
खड़ा कर देते हैं।

कोई भी नाम दो
सुगंध को
वह अपना आपा
कब खोती है।

मैंने शरीफा कहा
मेरे साथी नें टोका मुझे
और कहा--सीताफल,
सीता की याद यह दिलाता है।

सीत यानी शिशिर में होता है
इस से कहने वालों ने कहा सीताफल
बेचारी जानकी को
कष्ट क्यों देते हो।

14.11.2002</poem>
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