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16:34, 13 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र
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सखी मोहि पिया सों मिलाय दै, दैहों गरे को हार।
मग जोहत सारी रैन गँवाई, मिले न नंद-कुमार।
उन पीतम सौं यों जा कहियो, तुम बिन ब्याकुल नार।
’हरीचंद’ क्यों सुरति बिसारी, तुम तो चतुर खिलार॥
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