514 bytes added,
03:22, 14 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र
}}
<poem>
हमारे घर आओ आजु प्रीतम प्यारे।
फूलन ही की स्ज बिछाई, फूलन के चौबारे।
कोमल चरनन हित फूलन के रचि पाँवड़े सँवारे।
’हरीचंद’ मेरो मन फूल्यौ, आओ भँवर मतवारे॥
</poem>