Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }} <poem> नैन भरि देखौ गोकुल-चंद…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र
}}
<poem>
नैन भरि देखौ गोकुल-चंद।
श्याम बरन तन खौर बिराजत, अति सुंदर नंद-नंद।
विथुरी अलकैं मुख पै झलकैं, मनु दोऊ मन के फंद।
मुकुट लटक निरखत रबि लाजत, छबि लखि होत अनंद।
संग सोहत बृषभानु-नंदिनी, प्रमुदित आनंद-कंद।
’हरीचंद’ मन लुब्ध मधुप तहँ पीवत रस मकरंद॥
</poem>