नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …
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{{KKRachna
|रचनाकार=परवीन शाकिर
|संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन शाकिर
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<poem>
सखियाँ मेरी
खुले समन्दर बीच खड़ी हैं
और मैं सबसे दूर अलग साहिल पर बैठी
आती-जाती लहरों को गिनती हूँ
या फिर
गीली रेत पे तेरा नाम लिखे जाती हूँ
</poem>