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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमीर खुसरो }} {{KKCatKavita}}<poem>परदेसी बालम धन अकेली मेरा ब…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अमीर खुसरो
}}
{{KKCatKavita}}<poem>परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना।
बिर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना।
इस पार जमुना उस पार गंगा बीच चंदन का पेड़ ना।
इस पेड़ ऊपर कागा बोले कागा का बचन सुहावना।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अमीर खुसरो
}}
{{KKCatKavita}}<poem>परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना।
बिर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना।
इस पार जमुना उस पार गंगा बीच चंदन का पेड़ ना।
इस पेड़ ऊपर कागा बोले कागा का बचन सुहावना।
</poem>