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यही कहा था मेरे हाथ में है आईना<ref>दर्पण</ref>तो मुझपे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना<ref>अन्धा </ref>
मेरे चिराग चिराग़ तो सूरज के हम-नसब <ref>बराबर वाला टक्कर का </ref> निकलेगलत ग़लत था अब के तेरी आंधियों आँधियों का तखमीनातख़्मीना<ref>अनुमान</ref>
ये ज़ख्म खाईयो सर पर ब-पासे-दस्ते-सुबूसुबूब<ref> हाथ के जाम को बचाते हुए </ref>वो संगे-मोहतसिब <ref>धर्माधिकारी का पत्थर </ref> आया, बचाईयो मीना
हमें भी हिज़्र का दुख है ना कुर्ब की ख्वाहिशख़्वाहिशसुनो की कि भूल चुके हम भी अहदे- पारीना<ref>प्राचीन समय, पुराना वादा </ref>
उस एक शख्स शख़्स की सज-धज गजब ग़ज़ब की थी ऐ `फ़राज'
मैं देखता था उसे, देखता था आईना
नाबीना - अन्धा, हम नसब - बराबर वाला, ब-पासे-दस्ते-सुबू - हाथ के जाम को बचाते हुए<br>संगे-मोहतसिब - धर्माधिकारी का पत्थर, अहदे-पारीना - पुराना वचन, पुराना युग.<br>
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