{{KKCatGhazal}}
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आँखों में थकन धनक <ref>इन्द्र धनुष</ref> बदन परजैसे शब-ए-अव्वली <ref>प्रथम रात्रि</ref> दुल्हन पर
दस्तक है हवा-ए-शब के तन पर
खुलता है नया दरीचा फ़न <ref>कला</ref> पर
रंगों की ज़मील जमील बारिशों मेंउतरी है बहार फूलबन फूल-बन पर
थामे हुए हाथ रोशनी का
रख आई क़दम ज़मीं गगन पर
शबनम <ref>ओस</ref> के लबों पे नाचती हैछाया है अजब नशा किरण परकिरनपर
खुलती नहीं बर्ग-ओ-गुल <ref>पत्तों और फूलों की</ref> की आँखें
जादू कोई कर गया चमन पर
ख़ामोशी <ref>चुप्पी</ref> कलाम <ref>चुप्पी</ref> कर रही हैजज़्बात <ref>भावनाओं</ref> की मुहर है सुख़न <ref>काव्य, कल्पना</ref> पर
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