भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKMeaning}} {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
{{KKCatNazm}}
<poem>
एक संग- तराश<ref>पत्थर तराशने वालामूर्तिकार</ref> जिसने बरसोंहीरों की तरह सनम <ref>प्रतिमाएँ</ref> तराशेआज अपने सनमकदे <ref>मंदिर</ref> में तन्हा<ref>अकेला</ref>
मजबूर, निढाल,ज़ख़्म-ख़ुर्दा<ref>घायल</ref>
दिन रात पड़ा कराहता है
</poem>
{{KKMeaning}}