भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ाली जगह / अमृता प्रीतम

15 bytes added, 14:25, 26 नवम्बर 2009
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सिर्फ़ दो रजवाड़े थे –