Changes

अब तो इस राह से वो शख़्स गुजरता भी नहीं
अब किस उम्मीद पर दरवाज़ेसे पे दरवाज़े से झाँके कोई
कोई आहट, कोई आवाज़, कोई छाप नहीं
दिल की गलियाँ बड़ी सुनसान है आए कोई
</poem>