Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रमा द्विवेदी}} प्यार भी करते हो तुम तलवार की धा…

{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रमा द्विवेदी}}


प्यार भी करते हो तुम तलवार की धार पर,<br>
जान भी ले लेते हो, प्यार के इंकार पर।<br>
बर्बरता का यह कौन सा सोपान है?<br>
खून की वेदी रचाते हो हमें तुम मारकर॥<br><br>
भावनाएँ घायल हुईं जब ,<br>
फिर जिस्म में था क्या बचा?<br>
जिस्म के टुकड़े किए फिर भी,<br>
हैवानियत का यह कैसा नशा?<br><br>
335
edits