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{{KKRachna
|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे / अनिल जनविजय }}{{KKCatKavita}}<poem>
धीरे से मैं
दीवार की खाल खुरच देता हूँ
जहाँ कभी लिखा गया था
तेरा नाम