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यूँ तेरी रहगुज़र से दीवानावर दीवानावार गुज़रेकाँधे पे अपने रख के अपना मजार मज़ार गुज़रे
बैठे हैं रास्ते में दिल का नगर खंडहर सजा कर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे
तू ने भी हम को देखा हमने भी तुझको देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे.गुज़रे।
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