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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>गाय या भैंस के थन में जोंक लग जाए
तो वह दूध कदापि न पिएगी। वहाँ भी
वह अपनी प्रकृति के अनुसार खून ही
पिएगी।
रक्त दोष के चिकित्सक दोषपूर्ण रक्त
को निकाल देने के लिए जोंक का ही
प्रयोग करते थे।
अब दूषित रक्त निकाल देने के आधुनिक
यंत्रों से काम लिया जाता है।
9.10.2002 </poem>
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}}<poem>गाय या भैंस के थन में जोंक लग जाए
तो वह दूध कदापि न पिएगी। वहाँ भी
वह अपनी प्रकृति के अनुसार खून ही
पिएगी।
रक्त दोष के चिकित्सक दोषपूर्ण रक्त
को निकाल देने के लिए जोंक का ही
प्रयोग करते थे।
अब दूषित रक्त निकाल देने के आधुनिक
यंत्रों से काम लिया जाता है।
9.10.2002 </poem>