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सन्नाटे की गहरी छाँव, ख़ामोशी से जलते गाँव<br />
ये नदियों पर टूटे हुए पुल, धरती घायल ओर मन और व्याकुल<br />
ये खेत ग़मों से झुलसे हुए, ये खाली रस्ते सहमे हुए<br />
ये मातम करता सारा समां, ये जलते घर ये काला धुआं -२<br />