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::--लो, चित्रशलभ-सी, पंख खोल
::उड़ने को है कुसुमित घाटी,--
::यह है अल्मोड़े का वसन्त,::खिल पड़ीं निखिल पर्वत-पाटी!
'''रचनाकाल: मई’१९३५'''
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