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{{KKRachna
|रचनाकार=जयशंकर प्रसाद
|संग्रह=लहर / जयशंकर प्रसाद
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<poem>
वे कुछ दिन कितने सुंदर थे ?
जब सावन घन सघन बरसते
इन आँखों की छाया भर थे
सुरधनु रंजित नवजलधर से-
भरे क्षितिज व्यापी अंबर से
मिले चूमते जब सरिता के
हरित कूल युग मधुर अधर थे
चित्र खींचती थी जब चपला<br>नील मेघ पट पर वह विरला<br>मेरी जीवन स्मृति के जिसमें<br>खिल उठते वे रूप मधुर थे <br><br/poem>