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पड़ गया बंगाल बंगाले में काल,
भरी कंगालों से धरती,
भरी कंकालों से धरती!
कहाँ पड़ गया काल,
कहाँ कंगाल,
सिंचित करते वसुंधरा का
आँगन उर्वर।
जिसमें उगते-बढ़ते तरुवर,
लदे दलों से,
फँदे फलों से,
सजे कली-कली कुसुमों से सुन्द,र।सुंदर।
भरे कंठ से,