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बंगाल का काल / हरिवंशराय बच्चन / पृष्ठ १
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12:27, 23 दिसम्बर 2009
देश प्रेम का मूल्य चुकाने
कठिन, कठोर, घोर कारागारों में।
कितने ही जिसको जिह्वा पर लाकर
बिना हिचक के,
बिना झिझक के,
हँसते-हँसते
झूल गए फाँसीवाले तख़्ते पर,
या खोल छातियाँ खड़े हुए
गोली की बौछारों में।
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