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दर्द बस्ती का / विनोद तिवारी

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|वर्ष=१९८४
|भाषा=हिन्दी
|विषय=शीघ्र प्रकाश्य काव्य-हिन्दी ग़ज़ल संकलन
|शैली=--हिन्दी ग़ज़ल
|पृष्ठ=८०
*[[एक जान दुख इतने सारे / विनोद तिवारी]]
*[[जिन लोगों ने पत्थर मारे / विनोद तिवारी]]
*[[आँधियों से थे अनमने तिनके ऊबड़-खाबड़ रस्ता जीवन इच्छाओं की गठरी सर / विनोद तिवारी]]
*[[हो भले ही जाए सत्ता मांसाहारी / विनोद तिवारी]]
*[[ भावना विकलाँग हो कर जी रही है / विनोद तिवारी]]*[[क्या करे आदमी जब न मंज़िल मिले / तिवारी]]*[[भीड़ में ऐसे कोई इंसान की बातें करे / विनोद तिवारी]]*[[जीना है तो बदलते रहो मौसमों के साथ/ विनोद तिवारी]]*[[आँखें तो ढूँढती रहीं सपन-सपन-सपन / विनोद तिवारी]]*[[कुछ चाल बाज़ ले उड़े पते ख़ुशियों से भरे ख़ज़ानों के / विनोद तिवारी]]*[[इस शहर में कुछ नई बातें हुई हैं / विनोद तिवारी]]*[[क़ीमतें चढ़ती गई हैं इस क़दर बाज़ार की / विनोद तिवारी]]*[[इस शहर की हर गली में बस रहे बीमार लोग / विनोद तिवारी]]*[[ज़िंदगी जीने का कोई तो बहाना चाहिए / विनोद तिवारी]]*[[ख़ूब बरसे मेघ सागर के क़रीब / विनोद तिवारी]]*[[आपको तो है महज़ बढ़िया कहानी की तलाश / विनोद तिवारी]]*[[पूछना मत दोस्त मुझसे गीत क्योँ गाते हैं लोग / विनोद तिवारी]]*[[हम अलग-थलग रहे / विनोद तिवारी]]*[[बाहर चुप है अन्दर चुप / विनोद तिवारी]]*[[हमने तमाम उम्र महज़ काम ये किया / विनोद तिवारी]]*[[सड़कें भरी जलूस की आहो-कराह से / विनोद तिवारी]]*[[सिंधु के विस्तार में सम्मुख कई मंझधार हैं / विनोद तिवारी]]*[[सुख बड़े यत्न से पाए भी तो क्षणभर के मिले / विनोद तिवारी]]*[[ये उदासी से भरी बोझल फ़िज़ा / विनोद तिवारी]]*[[हिस्से में आई है यूँ भी राख चन्द मीठे सपनों की / विनोद तिवारी]]*[[कुछ विरासत थी कुछ कमाए भी / विनोद तिवारी]]*[[उनकी हर रात-जूही फूल हुआ करती है / विनोद तिवारी]]*[[रात के सुनसान में मिलती है आग / विनोद तिवारी]]*[[तुम्हारे कोश में वक्तव्य तो सुनहरे हैं / विनोद तिवारी]]*[[आपके झूठे सहारों का भरम टूट गया / विनोद तिवारी]]*[[रास्तों के घुमाव देख लिए / विनोद तिवारी]]*[[ग़लत है आग से कह दें पड़ेगा काम नहीं / विनोद तिवारी]]*[[मावस छाई दसों दिशा मेँ कब होगा उजियार यहाँ / विनोद तिवारी]]*[[कुछ इस क़दर ग़ुबार भरे दिन हैं आजकल / विनोद तिवारी]]*[[क्या करें और कहाँ जाएँ बताए कोई / विनोद तिवारी]]*[[कभी तो जागेगा वैताल देखते रहिए / विनोद तिवारी]]*[[कह दो धन से बल से शोहरत हासिल करने वालों से / विनोद तिवारी]]*[[किताब खोले कभी यूँ ही सोचता हूँ मैं / विनोद तिवारी]]*[[लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी]]*[[सुबह बनने चली दोपहर / विनोद तिवारी]]*[[दुनिया मस्त खिलौने पाकर हम सन्नाटा बुनते हैं / विनोद तिवारी]]*[[कहीं भी लेश अपनापन नहीं है / विनोद तिवारी]]*[[गुलदस्तों में कुछ कनेर के फूल बचे बीमारों से / विनोद तिवारी]]*[[किसी भी रात जब क़ाग़ज़-कलम उठाता हूँ / विनोद तिवारी]]*[[मिला जो यान वो टूटा हुआ मिला मुझको / विनोद तिवारी]]*[[रास्तों पर हर जगह परछाइयाँ बिखरी हुईं / विनोद तिवारी]]*[[हमारी क़ौम का इतिहास तो पुराना था / विनोद तिवारी]]*[[अब चलो मेहनतकशों के गीत गाएँ / विनोद तिवारी]]*[[लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी]]*[[ज़मीन पाँव तले आसमान सर पर है / विनोद तिवारी]]*[[जीए तो आपके हक़ में रहे दुआ करते / विनोद तिवारी]]*[[कामुकों का गाँव बेवा का शबाब / विनोद तिवारी]]*[[छा गए हैं आज फिर बादल घने / विनोद तिवारी]]*[[ज़मीन पाँव तले आसमान सर पर है / विनोद तिवारी]]*[[काम सब ठप है कारख़ानों में / विनोद तिवारी]]*[[हर दिशा में घने कुहासे हैं / विनोद तिवारी]]*[[आपके घर रौशनी से भर गए हैं / विनोद तिवारी]]*[[गीत मन का दर्द सहलाते नहीं / विनोद तिवारी]]*[[देखिए कितने सोगवार हैं लोग / विनोद तिवारी]]*[[चलते जाने क धर्म हैं सड्कें / विनोद तिवारी]]*[[दो बस्तियों के बीच में बनने लगा है पुल / विनोद तिवारी]]*[[आँधियों से थे अनमने तिनके / विनोद तिवारी]]*[[अब सुलगती ज़िन्दगी के नाम अंगारे लिखो / विनोद तिवारी]]*[[मत कहो कि बाज़ुओं में शक्ति कम है / विनोद तिवारी]]*[[कभी तो जश्ने-चराग़ाँ शहर-शहर होगा / विनोद तिवारी]]*[[इस जहाँ से जो भी कुछ सीखा लिखा हमने / विनोद तिवारी]]