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झोला / रश्मि रेखा
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08:36, 26 दिसम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=रश्मि रेखा
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{{KKCatKavita}}
<poem>
यह झोला
पहिए के बाद का सृष्टि का सबसे बड़ा अविष्कार है
जाने से पहले
कि आगे भी बची रह सके उसकी छाप और परछाई।
</poem>
अनिल जनविजय
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