|रचनाकार=कुंवर नारायण
|संग्रह=वाजश्रवा के बहाने / कुंवर नारायण
}} {{KKCatKavita}}<poem>कुछ इस तरह भी पढ़ी जा सकती है<br>एक जीवन-दृष्टि-<br>कि उसमें विनम्र अभिलाषाएं हों<br>बर्बर महत्वाकांक्षाएं नहीं,<br>वाणी में कवित्व हो<br>कर्कश तर्क-वितर्क का घमासान नहीं,<br>कल्पना में इंद्रधनुषों के रंग हों<br>ईर्ष्या द्वेष के बदरंग हादसे नहीं,<br>निकट सम्बंधों के माध्यम से<br>बोलता हो पास-पड़ोस<br>और एक सुभाषित, एक श्लोक की तरह<br>सुगठित और अकाट्य हो<br>
जीवन-विवेक।
</poem>