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Kavita Kosh से
|रचनाकार=पॉल एल्युआर
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कि एक भी उंगली नीचे न रहे
और जब सोचती है वह
आँख की दीवार तक पहुँचती है
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
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