भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
}}
{{KKCatKavita}}<Poempoem>
ताल भर सूरज--
बहुत दिन के बाद देखा आज हमने
डाल भर सूरज!
ताल भर सूरज...!
</poem>