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ताल भर सूरज / शलभ श्रीराम सिंह

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|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
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ताल भर सूरज--
बहुत दिन के बाद देखा आज हमने
डाल भर सूरज!
ताल भर सूरज...!
 
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