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|संग्रह=नियति,इतिहास और जरायु / श्रीनिवास श्रीकांत
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भूखे पेट वो खींचते रहे दिन का रथ
लेकिन गुज़रता गया वक़्त
समाप्त होती गयी सुरंग
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