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Kavita Kosh से
|रचनाकार=बिहारी
|संग्रह=
}} {{KKCatKavita}}[[Category: कवित्त]]<poem>
जानत नहिं लगि मैं मानिहौं बिलगि कहै
लीजिये न छेहु निरगुन सौं न होइ नेहु
गोकुल के लोग पैं गुपाल न बिसार्यौ जाइ
कीजिए न रारि ऊधौ देखिये विचारि काहु