भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह= अभियान / महेन्द्र भटनागर
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
 
प्रति हृदय में शक्ति दुर्दम,
मूल्य अपना माँगता श्रम,
जागरण का भव्य उत्सव,
सृष्टि का सब मिट गया तम !
विश्व जीवन पा रहा है,
गीत अभिनव गा रहा है,
कर्म का उत्साह-निर्झर
आज उमड़ा जा रहा है !
आज आगे मैं बढूंगा,
आपदाओं से लडूंगा,
राह की दुर्गम सभी
ऊँचाइयों पर जा चढूंगा ! '''रचनाकाल: 1947</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits