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|संग्रह=राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर
}}
{{KKCatKavita}}<poem>सब भूल जाते हैं ...<br>केवल<br>याद रहते हैं<br>आत्मीयता से सिक्त<br>कुछ क्षण राग के,<br>संवेदना अनुभूत<br>रिश्तों की दहकती आग के!<br>आदमी के आदमी से<br>प्रीति के सम्बन्ध<br>जीती-भोगती सह-राह के<br>अनुबन्ध!<br>केवल याद आते हैं<br>सदा !<br>जब-तब<br>बरस जाते<br>व्यथा-बोझिल<br>निशा के<br>जागते एकान्त क्षण में,<br>डूबते निस्संग भारी <br> क्लान्त मन में!<br>अश्रु बन<br>
पावन!
</poem>
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