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|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह=जीने के लिए / महेन्द्र भटनागर
}}{{KKCatKavita}}<poem>उछलती-कूदती<br>विपरीत<br>लहरों से<br>निरन्तर जूझते, <br> जीवन-मरण के बीच<br>अस्थिर झूलते, <br> दिन रात<br>कितनी कश-म-कश के बाद<br>कूल मिला ! <br><br>
धीरज से<br>कठिनतम साधना के बाद, <br> जीवन-सत्त्व-स्पन्दन भर<br>जड़ों को सींच<br>टटका<br>मुसकराता<br>एक<br>फूल खिला !</poem>
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