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हँसी / नरेश सक्सेना
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|संग्रह=समुद्र पर हो रही है बारिश / नरेश सक्सेना
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<poem>
'''(आपातकाल के दौरान)
भयानक होती है रात
जब कुत्ते रोते हैं
लेकिन उससे भी भयानक होती है रात
जब कुत्ते हँसते हैं
सुनो क्या तुम्हें सुनाई देती है
किसी के हँसने की आवाज़।
</poem>
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