नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम |संग्रह=सायों के साए में / शीन का…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम
|संग्रह=सायों के साए में / शीन काफ़ निज़ाम
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>
पेड़ों की नंगी शाख़ों से
डर लगता है
दालानों में
दहलीज़ों पर
दम घुटता है
गिर पड़ने के डर से
नीचे कम झुकता है
पंखा सर पर गिर जाने का नाहक खौफ़ लगा रहता है
मैदानों में आसमान के गिरने का खदशा रहता है
बैठे-बैठे चल पड़ता है
चलते-चलते रुक जाता है
सब से खौफ़ज़दा रहता है
लेकिन
एक फुदकती चिड़िया को अक्सर तकता है
घर-घर में
उस का चर्चा है
</poem>