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सांवरी / रणेन्‍द्र

17 bytes added, 05:23, 13 जनवरी 2010
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<poem>
:'''(1)'''
जानता हूँ तुम
रजतपट से बाहर आई
दिठौने-सा ................ ।
:'''(2.)'''
समुद्र मंथन की कथा,
भारी है
हे साँवरी !
 
:'''(3.)'''
देह है
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