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इश्क़ तासीर से नौमेद नहीं <br>
जाँ सुपारी शह्ज्रशजर-ए-बेद नहीं<br><br>
सुल्तनत दस्त-ब-दस्त आई है <br>
वर्ना मर जाने में कुछ भेद नहीं <br><br>
गर्दिश-ए-रन्गरंग-ए-तरब से डर है <br>
ग़म-ए-महरूमी-ए-जावेद नहीं <br><br>
कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग <br>
हम को जीने की भी उम्मीद नहीं <br><br>